कभी तो ऐसा दिन आएगा मै जो चाहूँगा हो जायेगा....!
बादल जब इस धरती को छूकर फिर अम्बर में उड़ जायेगा....!!
मै जब अपने हाथों में सागर भर पर्वत पर छा जाऊंगा....!
और फिर आवारा झरना बनकर मै नदिया में मिल जाऊंगा....!!
मै जब झील किनारे बैठूंगा और उसके ही पानी पर सो जाऊंगा....!
और फिर कुछ पन्ने लिखते- लिखते मै इन आँखों से रो जाऊँगा....!!
मै जब इस दुनिया के पागलपन से बेहद दूर चला जाऊंगा....!
और खुद को पाने की चाहत में तनहा राहों पर आ जाऊंगा....!!
जब किसी शाम चंदा, सूरज को मै अपने संग ले आऊंगा....!
और उनसे बातें करते-करते दिन और रात में खो जाऊंगा....!!
कभी तो ऐसा दिन आएगा...........................................!
बादल जब इस धरती को छूकर....................................!!
ya aisa din jarur ayega..
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