Sunday, January 29, 2012

कोई नहीं...!!



आज उन रास्तों से मै दोबारा गुजरा....!
जिन रास्तों से मेरा आना जाना था कभी....!!

अब वो पुरानी ईमारत भी नहीं दिखती मुझको....!
न चौराहे वाला वो पेड़ ही नज़र आता है कहीं....!!

सड़क के उस पार वो टीन की छत भी नहीं है अब....!
न कोई पहचान वाला ही नज़र आता है कहीं....!!

सब गुमनाम से चेहरें हैं यहाँ अब बाकी....!
शायद मै कुछ जरूर छोड़ आया हूँ कहीं....!!

अब तो कोई दोस्त की तरह मुखातिफ भी नहीं होता मुझसे....!
हाँ ये सच है के यहाँ अब मेरा कोई नहीं....!!

आज उन रास्तों से...........................!
जिन रास्तों से मेरा..........................!!

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