अपने दरवाजे पर एक दस्तक सुनकर मै अपनी नींद से जागा....!
मेरे कुछ ख्वाब आये थे मुझसे मुलाकात की खातिर....!!
कुछ सवालों से भरे थे तो कुछ जवाब लाये थे....!
वो अपने चेहरों पर लिखी मेरी कुछ किताब लाये थे....!!
किताबों में किस्से थे मेरे और कुछ अरमान लिखे थे....!
फिर से दोहराने सारे अरमानों को वो मेरे पास आये थे....!!
उनको शिकवा था मुझसे के उन्हें याद नहीं करता....!
रख के सिरहाने पर कहीं मै उन्हें भूल जाता हूँ....!!
मै हर ख्वाब से कहता हूँ के मै भूला नहीं उसको....!
है अब भी इल्म हर एक ख्वाब की तासीर का मुझको....!!
अधूरा छोड़ कर एक ख्वाब भी कहीं जाने नहीं वाला....!
मेरा हर ख्वाब मोती है इन्हें खोने नहीं वाला....!!
अपने दरवाजे पर एक दस्तक सुनकर..............!
मेरे कुछ ख्वाब आये थे..........................!!
आहा, ये ख्वाबों की दुनिया
ReplyDeleteअरमानों की दुनिया
चाहतों की दुनिया ।
पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
ReplyDeleteकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं (30) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !