एक अरसे बाद मिला तुझसे तो पता लगा तू कैसा है....!
काफी कुछ बदला-बदला सा था और लगा तू पहले जैसा है....!!
अरमान तेरे वैसे ही हैं अब भी तू छुप कर रोता है....!
अब अक्सर बातें करते-करते तू नम आखों संग होता है....!!
अब भी अपने अश्कों को तू पलकों की आड़ से धोता है....!
चलता है क्या तेरे भीतर तू चुप-धीरे से टोहता है....!!
लोग कहा करतें हैं की तू गुम-सुम सा रहता है....!
करता है कम बातें सबसे ख़ामोशी में जीता है....!!
अंदाज बयां करता है की तू हमसे अब कतराता है....!
ग़म अपने बतलाने में भी न जाने क्यूँ घबराता है....!!
राहों में चलते अक्सर तू निगाह बचा कर जाता है....!
क्यूँ तुझसे जुड़ने वाला धागा अब नाजुक होता जाता है....!!
एक अरसे बाद मिला तुझसे..............................!
काफी कुछ बदला-बदला सा था........................!!
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