Tuesday, April 5, 2011

लिखते-लिखते...!!














तस्वीर बनाऊंगा तेरी रंग इधर-उधर बह जायेंगे....!
लिखते-लिखते तुझको साकी ये कलम मेरी थक जाएगी....!!
कैसे बांधूंगा शब्दों में रंगों में कैसे ढालूंगा....!
मै अपने मन की मूरत की कैसे शक्ल सवारुंगा....!!

ना बातों में तू पूरा होगा चर्चा भी कम पड़ जायेगा....!
तेरे सागर में डूबा जो वो पार कहाँ से पायेगा....!!
तुझसे मिलकर आने वाला खुद अपने में खो जायेगा....!
और तेरी सारी बातों का कोई कैसे छोर बताएगा....!!

जो भी होगा बेमतलब सा उसका मतलब मिल जायेगा....!
तू लोगों के जहन में कुछ सपने जैसा बस जायेगा....!!
ये वक़्त रुकेगा कुछ पल को और फिर आगे बढ़ जायेगा....!
तू आएगा लफ्जों में और एक किस्सा बन जायेगा....!!

तस्वीर बनाऊंगा तेरी रंग.......................!
लिखते-लिखते तुझको साकी ये...............!!

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