Sunday, October 31, 2010

मै...!!

मै खुद को थोड़ा सा लिखूं  भी और लिखकर थोड़ा सा मिटा भी दूँ....!
कभी मै तेरे संग हस दूँ और कभी हसी को छुपा भी लूँ....!!

मै अक्सर उलझी बातें कह दूँ और फिर मतलब समझा भी दूँ....!
कभी मै पिछला याद करूँ और कभी आज को भुला भी दूँ....!!

मै पहली बारिश में भीगूँ भी और खुद को सूरज में सुखा भी लूँ....!
कभी मै सबसे खफा रहूँ और रूठों को पल में मना भी लूँ....!!

मै वक़्त को लफ़्ज़ों में ढालूं भी और लम्हों को रंगों से सजा भी दूँ....!
मै कभी हवा के साथ बहूँ और धरती को अम्बर से मिला भी दूँ....!!

मै दुनियां से बच कर भागूं भी और इसके लोगों से जुड़ा भी हूँ....!
कभी राह सीधी हो मेरी और मै हर मोड़ पे मुड़ा भी हूँ....!!

मै खुद को थोड़ा सा लिखूं भी और लिखकर ......................!
कभी मै तेरे संग हस दूँ और.......................................!!

Thursday, October 28, 2010

शहर...!!

शहर मेरा अब भी वैसा है जैसा मैंने सोचा था....!
सादापन अब भी कायम है उसमे थोडा-थोडा सा....!!

कुछ लोगों के चेहरे तो अब भी जाने पहचाने हैं....!
और ना मिलने के लोगों पर अब कुछ नए बहाने हैं....!!

चौराहे से सारी राहें अब भी घर को आ जाती हैं....!
और एक नदी शहर से मेरे अब भी हो कर जाती है....!!

शहर मेरा अब भी अक्सर सर्दी में जल्दी सो जाता है....!
और गर्मी के मौसम में वो भोर के संग उठ जाता है....!!

अब भी बारिश की बोछारों से ये हवा नर्म हो जाती है....!
और अब भी गीली मिट्टी से वो सौंधी सी खुशबू आती है....!!

बाज़ारों में अब भी लोगों का वैसा ही आना जाना है....!
और जिन बातों से जुड़ा हूँ मै ये शहर वो ताना-बाना है....!!

शहर मेरा अब भी वैसा है.................................!
सादापन अब भी कायम है................................!!

Sunday, October 24, 2010

ऐसा दिन आएगा ...!!

कभी तो ऐसा दिन आएगा मै जो चाहूँगा हो जायेगा....!
बादल जब इस धरती को छूकर फिर अम्बर में उड़ जायेगा....!!

मै जब अपने हाथों में सागर भर पर्वत पर छा जाऊंगा....!
और फिर आवारा झरना बनकर मै नदिया में मिल जाऊंगा....!!

मै जब झील किनारे बैठूंगा और उसके ही पानी पर सो जाऊंगा....!
और फिर कुछ पन्ने लिखते- लिखते मै इन आँखों से रो जाऊँगा....!!

मै जब इस दुनिया के पागलपन से बेहद दूर चला जाऊंगा....!
और खुद को पाने की चाहत में तनहा राहों पर आ जाऊंगा....!!

जब किसी शाम चंदा, सूरज को मै अपने संग ले आऊंगा....!
और उनसे बातें करते-करते दिन और रात में खो जाऊंगा....!!

कभी तो ऐसा दिन आएगा...........................................!
बादल जब इस धरती को छूकर....................................!!

Saturday, October 23, 2010

परछाई...!!

साथ रहा जो मेरे हर पल वो बस मेरी परछाई थी....!
राहें चाहे जैसी भी थी एक वो ही मेरे संग आई थी....!!

जब-जब भी मै उलझन में था उसने ही राह दिखाई थी....!
और मेरी छोटी सी ख़ुशी में भी वो खुल के मुस्काई थी....!!

थी थोड़ी धुंधली सी वो और सागर जैसी गहराई थी....!
उसमे बेहद सादापन था और चंदा जैसी नरमाई थी....!!

कुछ बातें हम दोनों ने संग-संग मिलकर सुलझाई थी....!
और आवाजों के शोर से वो अक्सर सहमी, घबराई थी....!!

हर मौसम में पास रही वो सर्दी थी या पुरवाई थी....!
जो बातें मैंने आधी छोड़ी उसने पूरी दोहराई थी....!!

साथ रहा जो मेरे हर पल..............................!
राहें चाहे जैसी भी थी...................................!!

Wednesday, October 20, 2010

आज और कल...!!

इस आज का मेरे कल से एक गहरा सा नाता है....!
खुद मैंने अपने आज को ही कल की डोरी से बाँधा है....!!


कल जो चीज़ अधूरी थी आज वही परिभाषा है....!
केवल कल के न होने से इस आज का मतलब आधा है....!!

आज की भोर के पीछे भी कल की ही रात का खाका है....!
जो आज से मुझको बांधे है कल वो एक पक्का धागा है....!!

कल जो रस्ता देखा था वो आज की मंजिल तक जाता है....!
और आज जो रुक कर सोचूं  तो वो कल भी मुझको भाता है....!!

कल अपनी सारी यादों से आज भी मुझे हसाता है....!
और आज भी मेरी रातों में कल सपना बनकर आता है....!!

इस आज का मेरे कल से.........................................!
खुद मैंने अपने आज को ही.....................................!!

Monday, October 18, 2010

अलविदा....!!

औरों के जैसी सारी बातों से अलविदा....!
अब तक की सारी यादों से अलविदा....!!

तुझसे अलविदा और खुद से अलविदा....!
दुनिया की तिरछी राहों से अलविदा....!!

झूठी हसी और झूठे इरादों से अलविदा....!
हर मोड़ पर मिलने वाले छलावों से अलविदा....!!

सच को समझाने वाली किताबों से अलविदा....!
बीत चुके सारे सवालों से अलविदा....!!

झूठे -सच्चे सारे खयालों से अलविदा....!
इस घर की कमजोर दीवारों से अलविदा....!

मुरझाई हुई सारी बहारों से अलविदा....!
उलझन से अलविदा और सुलझन से अलविदा....!!

अपनी खुद की ही उतरन से अलविदा....!
मन के भीतर की इस जकड़न से अलविदा....!

नाम से अलविदा और इस पहचान से अलविदा....!
घुट-घुट कर जीने वाले इस इंसान से अलविदा....!!

औरों के जैसी सारी..................................!
अब तक की सारी..................................!!

Wednesday, October 13, 2010

हम-तुम...!!

जब सागर की गीली रेत पर तलवों की धीमी आहट हो....!
और सूरज को जल्दी से जल्दी पानी में घुलने की चाहत हो....!!
जब आवारा लहरें मेरे पैरों को छु कर वापस जाएँ....!
और दूर देश से उड़कर जब पंछी घर को वापस आयें....!!
तब हम-तुम बैठें मिलकर और कुछ बीती यादें हो....!
कुछ पन्ने पलटें कल के और आज की प्यारी बातें हो....!!


जब पूरब से बह कर आने वाली हवा बहुत मतवाली हो....!
और शाम के रंग में डूबी धरती जैसे एक चाय की प्याली हो....!!
जब सावन की गहरी बदली घिर-घिर अम्बर पर छा जाए....!
और तीखी हल्की बोछारें बलखाती धरती पर आ जाए....!!
तब हम-तुम बैठें मिलकर और................................!
कुछ पन्ने पलटें कल के और....................................!!

जब धूप-छांव के खेल के संग सूरज का आना जाना हो....!
और इन्द्रधनुष के रंगों का खिल कर नभ पर छा जाना हो....!!
जब हर पंछी मतवाला होकर मल्हार का राग सुनाये....!
और तारे रात के अम्बर पर होले-होले से छायें....!!
तब हम-तुम बैठें मिलकर और.............................!
कुछ पन्ने पलटें कल के और.................................!!

Saturday, October 9, 2010

दोस्त...!!

कुछ लोग मुझे मेरे जीवन के एक हिस्से में टकराए....!
कुछ छूट गए पीछे ही और कुछ मेरे संग आये....!!
कुछ पल तक हम अंजान रहे और अब हैं एक दूजे के साए....!
मिलकर हमने संग-संग ही में पल अच्छे बुरे बिताये....!!

हमने कुछ बातें आपस में बांटी और कुछ राज़ छुपाये....!
बैठ के बातें करते-करते दो चाय के घूट लगाये....!!
बातों ही बातों में हमने कुछ प्यारे ख्वाब सजाये....!
हम अक्सर साथ में रोये भी और साथ में ही मुस्काए....!!

हम लोग अलग-अलग थे लेकिन फिर भी सब साथ में आये....!
कुछ आदत छोड़ी हमने अपनी और कुछ बदलाव भी लाये....!!
हमने छोटी-छोटी बातें समझी और रिश्ते नए बनाये....!
चेहरों को हमने पढ़ना सीखा और ग़म में भी न मुरझाये....!!

कुछ लोग मुझे मेरे जीवन के.....................................!
कुछ छूट गए पीछे ही और.......................................!!

Friday, October 8, 2010

वो...!!

है वो कुछ-कुछ मेरे ही जैसा, और थोड़ा मुझसे अलग भी है....!
कुछ बातों में साथ है मेरे, और कुछ में मुझसे जुदा भी है....!!

मेरे ही संग-संग चलता है, और मुझसे खफा-खफा भी है....!
कभी मेरे संग कर खिल कर हस्ता है, और मेरे अश्कों में साथ भी है....!!

मुझसे अक्सर मिलता है वो, और खुद में सिमटा-सिमटा भी है....!
ख़ुशी में मेरे संग रहता है, और ग़म में मुझसे लिपटा भी है....!!

मुझसे सारी बातें कहता है, और कभी बहुत चुप-चाप भी है....!
रहता है मुझमे मेरा बनकर, और गैरों में मेरे साथ भी है....!!

मुझसे थोड़ा अंजाना है वो, और गहरी पहचान भी है....!
कभी मेरे संग लड़ता है वो, और फिर खुद से नाराज भी है....!!

मुझसे कुछ-कुछ उलझा सा है वो, और बेहद आसान भी है....!
सब बातों का मतलब जानता है, और जानके फिर अंजान भी है....!!

है वो कुछ-कुछ मेरे ही जैसा........................................!
कुछ बातों में साथ है मेरे.............................................!!