Wednesday, October 20, 2010

आज और कल...!!

इस आज का मेरे कल से एक गहरा सा नाता है....!
खुद मैंने अपने आज को ही कल की डोरी से बाँधा है....!!


कल जो चीज़ अधूरी थी आज वही परिभाषा है....!
केवल कल के न होने से इस आज का मतलब आधा है....!!

आज की भोर के पीछे भी कल की ही रात का खाका है....!
जो आज से मुझको बांधे है कल वो एक पक्का धागा है....!!

कल जो रस्ता देखा था वो आज की मंजिल तक जाता है....!
और आज जो रुक कर सोचूं  तो वो कल भी मुझको भाता है....!!

कल अपनी सारी यादों से आज भी मुझे हसाता है....!
और आज भी मेरी रातों में कल सपना बनकर आता है....!!

इस आज का मेरे कल से.........................................!
खुद मैंने अपने आज को ही.....................................!!

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