जब सागर की गीली रेत पर तलवों की धीमी आहट हो....!
और सूरज को जल्दी से जल्दी पानी में घुलने की चाहत हो....!!
जब आवारा लहरें मेरे पैरों को छु कर वापस जाएँ....!
और दूर देश से उड़कर जब पंछी घर को वापस आयें....!!
तब हम-तुम बैठें मिलकर और कुछ बीती यादें हो....!
कुछ पन्ने पलटें कल के और आज की प्यारी बातें हो....!!
जब पूरब से बह कर आने वाली हवा बहुत मतवाली हो....!
और शाम के रंग में डूबी धरती जैसे एक चाय की प्याली हो....!!
जब सावन की गहरी बदली घिर-घिर अम्बर पर छा जाए....!
और तीखी हल्की बोछारें बलखाती धरती पर आ जाए....!!
तब हम-तुम बैठें मिलकर और................................!
कुछ पन्ने पलटें कल के और....................................!!
जब धूप-छांव के खेल के संग सूरज का आना जाना हो....!
और इन्द्रधनुष के रंगों का खिल कर नभ पर छा जाना हो....!!
जब हर पंछी मतवाला होकर मल्हार का राग सुनाये....!
और तारे रात के अम्बर पर होले-होले से छायें....!!
तब हम-तुम बैठें मिलकर और.............................!
कुछ पन्ने पलटें कल के और.................................!!
Great work buddy ..... mera bday gift hai kya ....
ReplyDeleteleejye saab hum bhi shaamil ho gaaye..
ReplyDeleteGreat work man.. Keep it up and keep the pace up
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