साथ रहा जो मेरे हर पल वो बस मेरी परछाई थी....!
राहें चाहे जैसी भी थी एक वो ही मेरे संग आई थी....!!
जब-जब भी मै उलझन में था उसने ही राह दिखाई थी....!
और मेरी छोटी सी ख़ुशी में भी वो खुल के मुस्काई थी....!!
थी थोड़ी धुंधली सी वो और सागर जैसी गहराई थी....!
उसमे बेहद सादापन था और चंदा जैसी नरमाई थी....!!
कुछ बातें हम दोनों ने संग-संग मिलकर सुलझाई थी....!
और आवाजों के शोर से वो अक्सर सहमी, घबराई थी....!!
हर मौसम में पास रही वो सर्दी थी या पुरवाई थी....!
जो बातें मैंने आधी छोड़ी उसने पूरी दोहराई थी....!!
साथ रहा जो मेरे हर पल..............................!
राहें चाहे जैसी भी थी...................................!!
nice.....
ReplyDeleteplz continue...hume b copy paste krna h..
Really nice....
ReplyDeletecontinue...