Thursday, October 28, 2010

शहर...!!

शहर मेरा अब भी वैसा है जैसा मैंने सोचा था....!
सादापन अब भी कायम है उसमे थोडा-थोडा सा....!!

कुछ लोगों के चेहरे तो अब भी जाने पहचाने हैं....!
और ना मिलने के लोगों पर अब कुछ नए बहाने हैं....!!

चौराहे से सारी राहें अब भी घर को आ जाती हैं....!
और एक नदी शहर से मेरे अब भी हो कर जाती है....!!

शहर मेरा अब भी अक्सर सर्दी में जल्दी सो जाता है....!
और गर्मी के मौसम में वो भोर के संग उठ जाता है....!!

अब भी बारिश की बोछारों से ये हवा नर्म हो जाती है....!
और अब भी गीली मिट्टी से वो सौंधी सी खुशबू आती है....!!

बाज़ारों में अब भी लोगों का वैसा ही आना जाना है....!
और जिन बातों से जुड़ा हूँ मै ये शहर वो ताना-बाना है....!!

शहर मेरा अब भी वैसा है.................................!
सादापन अब भी कायम है................................!!

2 comments:

  1. hmm great work ... u remembered me of our holy city .... a heaven ...

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  2. Its realy amazing dear..... i realy realy liked this poem.... may b cause i remind all things of our HARIDWAR....... all the line are very true........ please continue..... GOD BLESS YOU

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