Thursday, December 1, 2011

मन...!!













                         
कभी उस राह पर जाता....!
कभी अम्बर में उड़ जाता....!!
ये आवारा सा पंछी है....!
नहीं काबू मे है आता....!!

कहीं रुकता नहीं पल भर....!
नहीं आराम फरमाता....!!
बड़ा शातिर खिलाडी है....!
है पल मे काम कर जाता....!!

कभी सपने पिरोता है....!
कभी कल मे उतर जाता....!!
अभी तो संग बैठा था....!
और अगले पल ही उड़ जाता....!!

खबर लगती नहीं मुझको....!
ये मीलों सैर कर आता....!!
ये मन बेबाक रहता है....!
न इसकी कोई परिभाषा....!!

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