Friday, September 3, 2010

पतझर पन्ने और पानी...!!

जब कभी सुनहरी हवा मेरे दरवाजे से होकर जाती है....!
और जब पतझर के सूखे पत्ते हवा के संग बह आते हैं....!!
जब सावन की पहली बोछारें आँगन में आ जाती हैं....!
और जब मिट्टी की सौंधी खुशबु खिड़की से भीतर आती है....!!
तब जीवन के मौसम मुझको अजब सुहाने लगते हैं....!
सारी दुनिया के रंग मुझे तब खुले फुहारे लगते हैं....!!

जब रंग-बिरंगे फूल हवा में लहराते इठलाते हैं....!
और जब कापी के कोरे पन्ने श्याही से मेल मिलाते हैं....!!
जब तितली के पंख सुनहरे कोई जादू सा दिखलाते हैं ....!
और जब जुगनू कभी रात में भ्रम का जाल बिछाते हैं....!!
तब जीवन के मौसम मुझको..................................!
सारी दुनिया के रंग मुझे तब...................................!!

जब रोज सवेरे सूरज कुछ जल्दी ही उग आता है....!
और शाम का सूरज सागर की लहरों में घुल जाता है....!!
जब रात में तारे आसमान की चादर को चमकाते हैं....!
और जब चाँद कटोरी जैसे झूल हवा में जाता है....!!
तब जीवन के मौसम मुझको..................................!
सारी दुनिया के रंग मुझे तब...................................!!

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