Monday, July 18, 2011

ज़रा लम्बी कहानी है...!!


















तेरे सवाल-

तू कहता है बात बता क्या हैं तेरे जज़्बात बता....!
हस्ता है तू किस बात पे यूँ क्यूँ रो जाता है राज़ बता....!!
चुप-चाप सा बैठा रहता है इस ख़ामोशी का हाल बता....!
क्या बुनता है तू मन के भीतर इस गहराई का छोर दिखा....!!
अपने ख्वाबों की हलचल का कोई तो मतलब समझा....!
क्यूँ चुप हैं ये तेरी आखें इस चुप्पी का कोई सबब बता....!!

मेरे जवाब -

एक-एक बात बताऊंगा खुद से वाकिफ करवाऊंगा....!
हसने, रोने की वजह तुझे खुद मै ही बतलाऊंगा....!!
बातें थोड़ी उलझी सी हैं फुरसत से इनको सुल्झाऊंगा....!
मै तुझको अपने भीतर बैठे एक शक्श से आज मिलाऊंगा....!!
बस एक गुजारिश है तुमसे थोड़ी फुरसत लेते आना....!
कुछ पल अपने देना मुझको कुछ राज़ मेरे लेते जाना....!!
अल्फाजों से लगेगा यूँ ये बातें जानी पहचानी हैं....!
हाँ कुछ वक़्त लगेगा बातों में ज़रा लम्बी कहानी है....!!

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