Monday, September 19, 2011

रंग...!!



बेहिसाब हैं रंग यहाँ, परदे हैं परछाई हैं....!
सागर भी थोड़ा चंचल है, लहरों में भी अंगड़ाई है....!!

कितना ठहरा है ये पानी, कितनी इसमें गहराई है....!
कुछ थमा सा है कुछ भाग रहा, और थोड़ी तन्हाई है....!!

हैं कुछ आवाजें तल्ख़ यहाँ, कुछ में बेहद नरमाई है....!
कुछ नज़रें हैं बेबाकी सी, और कुछ में हया समायी है....!!

है आईना थोड़ा धुंधला सा, धुंधली-धुंधली परछाई है....!
थोड़े से झूठे हैं किस्से, थोड़ी इनमे सच्चाई है....!!

कुछ रंग हैं रूखे-रूखे से, कुछ रंगों पर सुर्खी छाई है....!
ये जैसी भी है तस्वीर बनी, इन रंगों से ही बन पायी है....!!

बेहिसाब हैं रंग यहाँ.............................!
सागर भी थोड़ा चंचल है..........................!!

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