Tuesday, September 7, 2010

जो ये होता है...!!

गुस्से से हाथ झटक देना, और आँखों में नीर का आ जाना....!
तन्हाई में घण्टों चुप रहना, और कोई याद पुरानी आ जाना....!!
धड़कन का कुछ धीमे होना, और चाँद का जल्दी आ जाना....!
परछाई का झिलमिल हो जाना, और खुद का खुद में खो जाना....!
क्या है जो ये होता है, ये भ्रम है या फिर धोखा है....!
कोई रोग है या अहसास कोई, या भोले से मन का राग कोई....!!

कुछ बातों का डर लगना, और खुली हवा में पर लगना....!
मन का खाली-खाली होना, और हर पल का सवाली होना...!!
दिल के पर्दों का नम होना, और छोटी बातों का ग़म होना....!!
तारों का चाँद के संग आना, और मस्त हवा का लहराना....!!
क्या है जो ये होता है.......................................!
कोई रोग है या अहसास कोई.............................!!

दिन का जल्दि से कट जाना, और खुलि किताबें रह जाना....!
औरों की न बातें करना, कुछ सोचते-सोचते सो जाना....!!
बैठे-बैठे ही मुस्काना, और श्याही का ख़त पर बह जाना....!
आवाज किसी की न सुनना, और बिना बात के लड़ जाना....!!
क्या है जो ये होता है.........................................!
कोई रोग है या अहसास कोई............................!!

मौसम का सर्द से नम होना, और दुनिया के शोर का कम होना....!
हवा का पर्दों को छू कर जाना, और बारिश का सुबह-सुबह आना....!!
कोई चीज़ पुरानी ग़ुम होना, और सोच के फिर गुमसुम होना....!
अक्सर बातों को दोहराना, हर दुआ में तेरा नाम आना....!!
क्या है जो ये होता है...........................................!
कोई रोग है या अहसास कोई..............................!!

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