Saturday, November 27, 2010

माँ...!!

माँ तूने बेहद आसानी से जीना मुझको है सिखलाया ....!
तेरे हाथों की ठंडक ने गर्मी में मुझको सहलाया....!!
माँ तूने मेरे उलझे बालों को अपने हाथों से सुलझाया....!
और अपनी नर्म हथेली से तूने मुझको है थपकाया ....!!

माँ तेरी गोद के जैसा मैंने स्वर्ग नहीं कहीं पाया....!
डर मुझको जो लगा कभी तूने मुझको है समझाया....!!
माँ तेरी हलकी सी डांट में भी मुझको तो प्यार नज़र आया....!
और तूने मेरा मन पढ़कर हर मुश्किल का हल पाया....!!

माँ तूने ही सारे रंगों से वाकिफ मुझको है करवाया....!
क्या सच है, है क्या झूठा तूने ही मुझको बतलाया....!!
तेरे आँचल के साए में ही मै बस चैन से सो पाया....!
और लिपट के तुझसे रोने में मैंने एक अजब सुकू पाया....!!

माँ तूने बेहद आसानी से जीना .................................!
तेरे हाथों की ठंडक ने गर्मी में..................................!!

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