Tuesday, November 30, 2010

ख्वाहिशें ...!!

ख्वाहिश है परों को पाने की, पंछी बन के उड़ जाने की....!
इस हवा से दौड़ लगाने की, सूरज से जल्दी आने की....!!
दुनिया को गोल घुमाने की, एक हाथ से चाँद छुपाने की....!
मिट्ठी से महल बनाने की, पानी पर नाव चलाने की....!!

ख्वाहिश है अम्बर पे छाने की, गर्मी में बर्फ गिराने की....!
फूलों से महक चुराने की, और संग कोयल के गाने की....!!
परछाई को गले लगाने की, पहली बारिश में नहाने की....!
खुद को आवाज लगाने की, और लम्बी सैर पे जाने की....!!

ख्वाहिश है मंजिल को पाने की, उम्मीद को और बढ़ाने की....!
तुझसे फिर एक बहाने की, और एक अरमान सजाने की....!!
अपनी तस्वीर बनाने की, कल को फिर से दोहराने की....!
कुछ गहरे राज़ छुपाने की, सागर पर चलकर जाने की....!!

ख्वाहिश है परों को पाने की.................................!
इस हवा से दौड़ लगाने की..................................!!

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