है ये तेरा भी हिस्सा और है मुझसे भी जुड़ा हुआ....!
तुझमे भी थोड़ा शामिल है और जरा है मुझमे घुला हुआ....!!
कभी छुपाता तेरा चेहरा और मेरे मन की गहराई भी....!
तेरे अपने राज़ भी कुछ और मेरी थोड़ी परछाई भी....!!
जो भी खाली है बचा हुआ ये उसका मतलब समझाता है....!
और ये पर्दा ही मुझको मेरे चेहरे से मिलवाता है....!!
इसकी आड़ के पीछे से मन सब बातें कह जाता है....!
और मेरी नज़रों को कभी-कभी ये सारे सच दिखलाता है....!!
ये पर्दा मेरी खातिर लोगों से आँख मिलाता है....!
रखता है दुनियाँ को धोखे में और मेरा साथ निभाता है....!!
झूठे रंगों से ये पर्दा पहचान मेरी करवाता है....!!
और तंग रास्तों से मुझको बेख़ौफ़ छुपा ले जाता है....!
है ये तेरा भी हिस्सा और है............................!
तुझमे भी थोड़ा शामिल है और........................!!
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