Sunday, February 20, 2011

बात कुछ ऐसी है के...!!


















बात कुछ ऐसी है के, दुनिया बहुत नाराज है....!
एक कोने में है चुप-चाप सी, कहती नहीं कुछ ख़ास है....!!
हस्ते में रोती है ये, ग़म इसका बहुत नासाज़ है....!
रूठ कर बैठी है चुप, कोई न आता पास है....!!

है शिकायत इसको कुछ, और है सवालों की झड़ी....!
खामोश है अक्सर बहुत, मायूस रहती है खड़ी....!!
है कहाँ अपनी सहर, बस ताकती है वो घड़ी....!
रात ये ढल जाएगी, उम्मीद है इसको बड़ी....!!

भीड़ से सहमी है ये, तन्हाई में जाके रोती है....!
मिलता नहीं है इसको कुछ, हर रोज़ सपने खोति है  ....!!
हैं इसके लिए सब अजनबी, खुद को नहीं ये जानती....!
आकर कहे कोई सच भी जो, है नहीं ये मानती....!!

बात कुछ ऐसी है के.................................!
एक कोने में है चुप -चाप सी.......................!!

2 comments:

  1. Wah shab sabke kehne ka or intzaar ka kya result nikla hai ,.... awesome lines dear ...

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