Monday, July 8, 2013

फिर मिलेंगे...!!















कभी जब अलविदा कहता हूँ, तो एक उम्मीद रहती है....!
फिर मिलेंगे, हम किसी मोड़ पर, यही एक चीज़ रहती है....!!
जब भी मिलना हो दोबारा, किसी भी यार से मेरा....!
हो फिर उतना ही ताज़ा दिन, हो फिर वैसा ही सवेरा...!!
पेश आयें हम इस तरह, जैसे कल ही तो मिले थे....!
भूल जाएँ सारे शिकवे, बाकि जितने भी गिले थे....!!
हर एक मुस्कान हो सच्ची, कोई आंसू न हो फीका....!
हाँ अब जब भी मिले हम-तुम, हो एक अहसास मीठा सा....!!
ठहाके हों वही अब भी, मौजूद अपनी बातों में....!
और लिखे हो अब भी कुछ, उधार सबके खातों में....!!
कभी जब अलविदा कहता हूँ............................!
फिर मिलेंगे, हम किसी मोड़ पर........................!!

2 comments:

  1. Bro save all these lines and publish one book....

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    1. Hi dear, The book has already been published.

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