Tuesday, November 16, 2010

क्यूँ...!!

क्यूँ  मुझको अक्सर लोगों की छोटी बातें हैं चुभ जाती....!
क्यूँ  मुझको मेरे ही भीतर की सूरत नज़र नहीं आती....!!

मै जो तस्वीर बनाता हूँ वो धुंधली क्यूँ  है हो जाती....!
क्यूँ अब पर्दों के हिलने पर भी एक सिहरन सी है उठ जाती....!!

क्यूँ  बीते लम्हों की कुछ यादें आवाजों से हैं टकराती....!
और क्यूँ  कुछ कहने वाली बातें अपनों से भी कही नहीं जाती....!!

क्यूँ मुझे किसी के चेहरे पर कोई उम्मीद नज़र नहीं है आती....!
और पल भर को भी क्यूँ ये दुनिया मतलब को भुला नहीं पाती....!!

क्यूँ मेरी ही खुद की ख़ामोशी इतना कुछ है कह जाती....!
और क्यूँ सब कुछ कह देने पर भी कहीं कमी है रह जाती....!!

क्यूँ  मुझको अक्सर लोगों की..................................!
क्यूँ  मुझको मेरे ही भीतर की.................................!!

3 comments:

  1. Shivam :
    nice lines dude i am really happy ... that you are moving towards..your dreams..

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