Monday, November 15, 2010

My Lines For Me...!!

जब तुझ पर उम्मीदों का बोझ बहोत हो....!
और जब ग़म तेरी आँखों से छलके....!!
जब तू इस दुनिया के बीच अकेला हो....!
और बोझल हों नींद से तेरी पलकें....!!
तब मेरे अल्फाजों से तू बातें करना....!
और मेरे आँचल में चैन से सो जाना....!!

जब तुझको रंगों से प्यार ना हों....!
और खुद की बातें ही झूठ लगें....!!
जब मन तेरा खाली खाली सा हों....!
और जब तुझको अपने ही दूर लगें....!!
तब तू मुझमे ही घुल मिल जाना....!
और संग मेरे लफ्जों के सिल जाना....!!

जब तेरी आवाज में एक ख़ामोशी हों....!
और दुनिया की भीड़ ना भाती हो....!!
जब परछाई भी तुझसे अलग चले....!
और राहें सारी मुड़ जाती हों....!!
तब लिपट के मुझसे रो जाना....!
और जो भी ग़म हो बतलाना....!!

जब तुझ पर उम्मीदों का....................!
और जब ग़म तेरी आखों ....................!!

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